Friday 10 June 2011

वैसे तो ...


वैसे तो मिलनेवाले बहोत है कम्बक्थ
बस एक तूही है के मिलताही नहीं....

वैसे तो बरसते बहोत है कम्बक्थ,
बस एक तूही है की भिगताही नहीं...

वैसे तो नादाँ बहोत है कम्बक्थ,
बस एक तूही है की बहेकताही नहीं...

वैसे तो धरतीको चूमने वाले बहोत है कम्बक्थ,
बस इस बादल को कोई चुमताही नहीं...

वैसे तो बरबाद करने वाले बहोत है कम्बक्थ,
बस एक हम है की बर्बाद होते ही नहीं...

वैसे तो मनाने वाले बहोत है कम्बक्थ,
बस एक हम है के रुठते ही नहीं...

वैसे तो परेशानियोके साए भी बहोत है कम्बक्थ,
बस एक वही है जो हमें चिपकतीही नहीं....

वैसे तो डुबानेवाले बहोत है कम्बक्थ
बस एक हम है की बारबार जनमते ही रहे....

अब तुम कहोगे की हम तो निकले एक पत्थर,
बस हम कहेंगे की वो भी इतना आसन नहीं...

आपका अपना,
अमर...

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